अगर आपकी कुंडली में हैं ये कारक, तो होगी लव मैरिज

कृष्ण के 3 रूपों में है भक्ति की आकर्षणी शक्ति
August 15, 2017
तुलसी का पौधा
अपने घर के इस हिस्से में रख दें यह पौधा, पलक झपकते चमकेगी किस्मत
August 18, 2017
प्रेम विवाह

प्रेम हर व्यक्ति की एक स्वाभाविक जरुरत होती है थोड़ा सा अनुकूल वातावरण मिलते ही यह पनपने लगता है। यदि एक बार दिल में प्यार का पौधा लग गया तो उसे अंजाम तक पहुंचे के लिए कई सीढियां पार करनी पडती है। अक्सर देखा जाता है कि आजकल अधिकतर युवा वर्ग प्रेम विवाह करना चाहता है। इसलिए लडके और लडकियां दोनों एक दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसंद-नापसंद को अच्छे से समझ पाते है।

प्रेम विवाह करने वाले लडके-लडकियां भावनाओं व स्नेह की प्रगाढ डारे से बंधे होते है। लेकिन कभी-कभी प्रेम विवाह करने वाले वर-वधु के विवाह के बाद की स्थित इसके विपरीत हो जाती है। इस स्थिति में दोनों का प्रेम विवाह करने का फैसला जल्दबाजी और बिना सोच समझे हुए लगते है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आपकी कुंडली में ग्रहों की दशा के अनुसार आपका राशिफल ही नहीं बल्कि जीवन का हर पहलु प्रभावित होता है। ग्रहों की दशा बताती है कि आपके नसीब में प्यार है कि नहीं।

आज हम जानते हैं कि कुंडली में ऐसे कौन-से कारक होते हैं जो प्रेम योग को दर्शाते हैं –

1.) जब किसी व्यक्ति कि कुंडली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है।
2.) जब जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है। कुण्डली के सभी ग्रहों में इन तीन ग्रहों को सबसे अधिक अशुभ व पापी ग्रह माना गया है। इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव, भावेश से संबन्ध बनाता है तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है।
3.) जब राहु लग्न में हों परन्तु सप्तम भाव पर गुरु की दृष्टि हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावनाए बनती है। राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता है।
4.) रेम विवाह के योगों में जब पंचम भाव में मंगल हों तथा पंचमेश व एकादशेश का राशि परिवतन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह होने के योग बनते है।
5.) कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
6.) जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक-दूसरे से दृष्टि संबन्ध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
7.) अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह कि संभाव बनती है।
8.) जब सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हों तब विवाह का भाव बली होता है तथा व्यक्ति प्रेम विवाह कर सकता है।
9.) पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृ्ष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है।
10.) द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश कि युति हों व भाग्येश इन से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
11.) जब जन्म कुण्डली में शनि किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर वह मंगल, सप्तम भाव व सप्तमेश से संबन्ध बनाते है तो प्रेम विवाह को योग बनता है।

किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए हिमानी “अज्ञानी” संपर्क करें – +91 9636243039.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Feedback
//]]>